लेखक: डॉ ललित शर्मा (Guna, Madhya Pradesh), डॉ आकांक्षा बघेल (Harda,Madhya Pradesh), डॉ गुलाब छाजेड़ (Sumerpur, Rajasthan), डॉ रिजो मैथ्यू चूरकुटिल (Kochi, Kerala), डॉ प्रवीण निर्मलन (Kochi, Kerala)
भारत वर्ष में द्वितीय तिमाही अल्ट्रासोनोग्राफी परीक्षण 20 – 24 सप्ताह में विशेष परीक्षण [TIFFA ] केवल जन्मजात एवं सरंचनात्मक विसंगतियों पर केन्द्रित होकर किया जाता है | भारतवर्ष में एक अध्ययन अनुसार प्रतिवर्ष 4,72,177 जन्मजात एवं सरंचनात्मक विसंगतियों से ग्रसित बच्चे जन्म लेते हैं, और इनमें भी ह्रदय संबंधि विकार (65.86 / 1000 जीवित जन्म ), तंत्रिका तंत्र संबंधि दोष जिसे न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट भी कहते हैं जिसमें दिमाग़, मेरुदंड और रीढ़ की हड्डी संबंधी विकृतियां शामिल हैं (26.44 / 1000 जीवित जन्म ) प्रमुख रूप से होतीं हैं | यद्यपि उच्च रक्तचाप, प्रीक्लाप्म्सिया [PE] एवं भ्रूण वृद्धि [FGR] असामान्यताओं से ग्रसित गर्भस्थ शिशु [भ्रूण] में प्रसव कालीन प्रतिकूल परिणामों की सम्भावना अत्यधिक होती है, लेकिन इन्हें समय पर चिन्हित कर इनसे होने वाले प्रतिकूल परिणामों को न्यूनतम स्तर पर लाया जा सकता है | अनुमानतः, भारत में प्रतिवर्ष 24 लाख गर्भवती माँ उच्च रक्तचाप से एवं 50 लाख गर्भस्थ शिशु भ्रूण वृद्धि प्रतिबंध से ग्रसित होते हैं | हालाँकि उच्च रक्तचाप, प्रीक्लाप्म्सिया [PE] ] एवं भ्रूण वृद्धि प्रतिबन्ध [FGR] का प्रतिशत जन्मजात एवं सरंचनात्मक विसंगतियों की अपेक्षा कई गुना अधिक है, फिर भी इनके मूल्यांकन को द्वितीय तिमाही अल्ट्रासोनोग्राफी 20 – 24 सप्ताह परीक्षण [TIFFA ] में जन्मजात एवं सरंचनात्मक विसंगतियों की अपेक्षा न्यूनतम प्राथमिकता दी जाती है | हम भारतीय रेडियोलॉजिकल एंड इमेजिंग एसोसिएशन [ आईआरआईए ] के सरंक्षण कार्यक्रम के तहत 20 – 24 सप्ताह परीक्षण [TIFFA ] समय जन्मजात एवं सरंचनात्मक विसंगतियों, और उक्त रक्तचाप प्रीक्लाप्म्सिया [ PE ] एवं भ्रूण वृद्धि प्रतिबन्ध के अनुमानित अनुपात का तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत करते हैं |
हमारे द्वारा 4572 गर्भवती माताओं का 20-24 सप्ताह के परीक्षण में विश्लेषण करने पर 3.81 % जन्मजातएवं सरंचनात्मक विसंगतियों पाई गईं, 2.71 % में उच्च रक्तचाप / प्रीक्लाप्म्सिया [ PE] और 4 % में 37 सप्ताह पूर्व प्रीक्लाप्म्सिया [ PE] की प्रबल संभावना थी | 6.8 % में भ्रूण वृद्धि प्रतिबन्ध [FGR] या उसके होने की प्रबल संभावना थी | यह तुलनात्मक अध्ययन इस बात की पुष्टि करता है, कि दूसरी तिमाही में पीई और एफजीआर के उच्च जोख़िम (हाई रिस्क) वाली गर्भवती महिलाओं की पहचान को प्राथमिकता देना अत्याश्यक है।
डॉप्लर अल्ट्रासोनोग्राफी परीक्षण विधि प्रीक्लाप्म्सिया [ PE], भ्रूण वृद्धि प्रतिबंध [FGR] की उच्च संभावना को चिन्हित करने में सहायता करता है | डॉप्लर अल्ट्रासोनोग्राफी परीक्षण विधि न ही ज्यादा समय लेती है, और इसे आसानी से द्वितीय त्रैमासिकी 20 – 24 सप्ताह परीक्षण [TIFFA] में समाहित भी किया जा सकता है | इसके लिए फीटल रेडियोलॉजिस्ट प्रीक्लाप्म्सिया [ PE], भ्रूण वृद्धि प्रतिबंध (एफजीआर ) की पहचान के लिए क्लिनिकल एल्गोरिथम [algorithm] का उपयोग करते हैं | भारतीय रेडियोलॉजिकल एंड इमेजिंग एसोसिएशन [ आईआरआईए ] के सरंक्षण कार्यक्रम का ये तुलनात्मक अध्ययन इस बात की पुष्टि करता है, की द्वितीय त्रैमासिकी परीक्षण [TIFFA ] में सिर्फ जन्मजात एवं सरंचनात्मक विसंगतियों पर केन्द्रित करना भारत वर्ष में हमारी प्राथमिकताओं को देखते हुए अपूर्ण एवं अधूरा है | अतः उच्च रक्तचाप प्रीक्लाप्म्सिया [PE] एवं भ्रूण वृद्धि प्रतिबन्ध [FGR ] को चिन्हित करने को भी इस परीक्षण विधि में अनिवार्यतः शामिल करना ही भारतीय परिस्थियों अनुसार समयोचित कदम होगा |
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